Friday, November 22, 2024

राजश्री इन्टरप्राईजेस के भागीदार गोल्डी अग्रवाल का हटेगा बेजा कब्जा, राताखार नहर की जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण, जल्द होगी कार्रवाई

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राजश्री इन्टरप्राईजेस के भागीदार गोल्डी अग्रवाल का हटेगा बेजा कब्जा, राताखार नहर की जमीन पर कब्जा कर अवैध निर्माण, जल्द होगी कार्रवाई

कोरबा। नहर निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई जमीन पर निजी अवैध निर्माण कराए जाने के मामले में जांच उपरांत अब इसे हटाने की कार्रवाई जल्द की जाएगी।अतिक्रमण को हटाने की कार्यवाही राजस्व अमला, नगर पालिक निगम एवं जल संसाधन विभाग के समन्वय से किये जाने हेेत कोरबा एसडीएम को हसदेव बरॉज जल प्रबंध संभाग के कार्यपालन अभियंता द्वारा पत्र प्रेषित किया गया है।

सिंचाई विभाग द्वारा तहसील व जिला कोरबा में राताखार पुल के समीप हसदेव बांयी तट नहर निर्माण हेतु निजी भूमि खसरा नं. 18/3, रकबा 1.20 एकड़ में 0.47 एकड़ खसरा नंबर 43, 44 रकबा 0.33 एकड़ में से 0.20 एकड़ एवं 45 का रकबा 0.27 एकड़ का सम्पूर्ण रकबा 0.20 एकड़ भू-अर्जन किया गया था। हसदेव बांयी तट नहर निर्माण हेतु नहर के मध्य से दोनों तरफ बांयी एवं दांयी तट नहर की 45 गुणा 45 मीटर चौड़ाई जमीन अर्जित किया गया है।बांयी तट नहर के बायीं तटबंध पर राजश्री इन्टरप्राईजेस भागीदार गोल्डी अग्रवाल के द्वारा विभाग में उपलब्ध नक्शे अनुसार औसतन 17 मीटर गुणा 800 मीटर पर सिंचाई विभाग की जमीन पर अवैध पक्का निर्माण किया जा रहा है। अवैध कब्जा कर पक्का भवन एवं अहाता निर्माण को तत्काल हटाने हेतु विधिसम्मत नोटिस 12 फरवरी को तामिल की गई। अनुविभागीय अधिकारी, (राजस्व) कोरबा के निर्देश पर राजस्व विभाग, जल संसाधन विभाग एवं गोल्डी अग्रवाल आदि की उपस्थिति में स्थल जांच किया गया।
बांयी तट नहर के आरडी 7920 मीटर पर तटबंध में पक्का निर्माण किया जा रहा है। आरडी 7920 मी. के समीप की भूमि का सीमांकन राजस्व विभाग के द्वारा 14 अगस्त 2020 को तहसीलदार कोरबा के द्वारा किया गया जिसमें उनके द्वारा सीमेंट से निर्मित नहर से 10 मीटर तक नहर की भूमि बताया गया है, जो गलत है। नहर के मध्य से चौड़ाई पूर्व की दिशा में 45 मीटर है, जिस पर अवैध कब्जा किया गया है जो कि शासकीय अभिलेख अनुसार खसरा नंबर 18/7, 18/3 व 43, 44 में से भूमि जल संसाधन का पाया गया है। विभाग के नक्शे के अनुसार औसतन 20 मीटर गुणा 20 मीटर पर पक्का भवन का निर्माण किया जा रहा है तथा 20 मीटर गुणा 60 मीटर में प्री कास्ट सीमेंट क्रांक्रीट से अहाता कर अवैध कब्जा/अतिक्रमण किया गया है।

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अधिकारी शिवनारायण साय और पीके वासनिक की सीएम तक पहुंच चुकी है शिकायत

कोरबा। दर्री डेम के पास से लेकर कोहड़िया के समीप जमीनों की कब्ज़ा में विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की शिकायत इंडियन यूथ कांग्रेस जनरल सेक्रेटरी (ग्रामीण) मधुसूदन दास मुख्य मंत्री विष्णु देव साय को पत्र लिख कर चुके हैं। हसदेव बरॉज जल प्रबंध उप संभाग रामपुर कोरबा क्षेत्र में विभाग के अधिकारी ने विभागीय जमीन पर एनओसी जारी कर दिया है। यह कारनामा शिवनारायण साय अनुविभागीय अधिकारी हसदेव बरॉज जल प्रबंध उपसंभाग दर्री ने किया है। वे कार्यपालन अभियंता हसदेव बरॉज जलप्रबंध संभाग रामपुर/कोरबा के प्रभार में थे। इस दौरान उन्होंने जमीन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया है। उनकी देखा-देखी बाद आए अधिकारी ने भी विभागीय जमीन को अपनी बेजा कमाई का जरिया बना लिया। कलेक्टर अजीत वसंत जी ने खाली पड़ी शासकीय जमीनों पर संबंधित विभागों को बोर्ड लगाने का निर्देश दिया। जिसके बाद अधिकारियों का झूठ और करोड़ों-अरबों की जमीन अफरा तफरी का मामला सामने आ गया। निर्देश का परिपालन करते हुए जल संसाधन विभाग द्वारा बोर्ड लगाया जा रहा है, जल संसाधन विभाग द्वारा कोहड़िया- चारपारा के पास दर्री जाने वाले रोड किनारे इस तरह का बोर्ड लगाया गया है। जहां पहले व्यापक पैमाने पर राखड़ डाला गया है। पूर्व में अधिकारी इस जमीन को विभाग की नहीं बताते थे। अब इस जमीन पर बोर्ड लगाकर विभाग की बताते हुए राखड़ डालते पाए जाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। छत्तीसगढ़ शासन ने 16 अगस्त 2019 से 23 सितंबर 2021 तक पीके वासनिक को प्रभारी कार्यपालन अभियंता का प्रभार दिया था। 24 सितंबर 2021 से पीके वासनिक कार्यपालन अभियंता का दायित्व संभाल रहे है। तब से लेकर आज तक विभाग की जमीन पर बेतहाशा बेजा कब्जा और खरीद बिक्री कराई जाती रहीं। विभाग की करोड़ों-अरबो रूपए की जमीन को भगवान भरोसे छोड़कर अधिकारी कहते रहे कि यह विभाग की जमीन नहीं है। अब जब कलेक्टर ने बोर्ड लगाने के लिए निर्देश दिए तो कार्यपालन अभियंता पी. के. वासनिक को अचानक याद आया कि यह जमीन हमारे विभाग की है और सीधे बोर्ड लेकर चले गए। ऐसे में सवाल- उठता है कि विभाग द्वारा जिन लोगों को अनापत्ति प्रमाण पत्र दिए गए थे। उस पर भी बोर्ड लगा दिया गया है। विभाग के अधिकारियों की इस दोहरी नीति के कारण शासकीय जमीन पर पहले तो कब्जा हो गया और अब जमीन पर ज्ञापन क्रमांक 1949/तक रामपुर/कोरबा, दिनांक 12,06,2019 को अनापत्ति प्रमाण पत्र दे दिया गया। तो लोगों ने करोड़ों-अरबों में इसकी खरीद बिक्री भी कर ली। मामले में गंभीरता से जांच की जरूरत है।

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हसदेव बराज जल प्रबंधन संभाग रामपुर/कोरबा की दोहरी नीति

उक्त जमीन भी सिंचाई विभाग की है, जिसमें शिकायत हुई है लेकिन अभी तक किसी प्रकार की कोई कार्यवाही होते नहीं दिखाई दे रहा है। हसदेव बराज जल प्रबंधन संभाग रामपुर/कोरबा द्वारा दोहरी नीति अपनाई जा रही है। जब इस जमीन को अपना बताते हुए सिंचाई विभाग द्वार इस जमीन पर बोर्ड गाड़कर अपना बताया गया है तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है?

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