Saturday, March 15, 2025

भाजपा की हार के बाद होगा मंथन, संगठनात्मक फेरबदल के आसार, हार के कारणों की होगी समीक्षा

Must Read

भाजपा की हार के बाद होगा मंथन, संगठनात्मक फेरबदल के आसार, हार के कारणों की होगी समीक्षा

कोरबा। हाल में में हुए विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं पाई। भाजपा ने एकमात्र सीट कोरबा को गंवाई है। माना जा रहा है कि जल्द ही इस हार के बाद संगठनात्मक फेरबदल के आसार हैं। समीक्षा बैठक में भी हार की वजहें तलाशी जाएंगी। लोकसभा क्षेत्र कोरबा के गठन के लिए अब तक हुए चार चुनाव में कांग्रेस को तीन बार जीत मिली, जबकि भाजपा के स्व. डॉ. बंशीलाल महतो को जीत का अवसर प्राप्त हुआ। 2024 के चुनाव में भाजपा की सरोज पांडेय को हार मिली। पिछली दो हार के मुकाबले इस बार का आंकड़ा सबसे अधिक रहा। संगठन इससे हैरान है। संभावना जताई जा रही है कि आगामी दिनों में संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत व्यापक स्तर पर फेरबदल किया जा सकता है।कोरबा सीट पर कांग्रेस की ज्योत्सना महंत दूसरी बार सांसद निर्वाचित हुईं। उनके मुकाबले भाजपा की सरोज पांडेय को 43 हजार से अधिक मतों से हार मिली। जबकि इससे पहले के चुनाव में भाजपा के ज्योतिनंद दुबे की हार का आंकड़ा 26 हजार के आसपास का था। भाजपा संगठन ने काफी विचार मंथन के बाद कोरबा संसदीय सीट से यहां के कार्यकर्ता को किसी भी तरह महत्व देने के बजाय बाहर से प्रत्याशी को उतार दिया। शुरू से अंदरखाने इसका विरोध होता रहा लेकिन सरोज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष होने के कारण विरोध को हवा नहीं मिल सकी। टिकट आबंटन करने वालों से लेकर किसी ने भी इस बारे में हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं समझी। संसदीय क्षेत्र के समीकरण और यहां के हालातों पर ज्यादा बारिकी से अध्ययन करने के बजाय पार्टी ने कई तरह के लहर और बड़े चेहरे के आधार पर शायद यह मान लिया था कि यहां से नैय्या पार होना संभव है, लेकिन पार्टी के बड़े नेता और तत्कालीन गृह मंत्री अमित शाह के द्वारा सभा में कोरबा को लेकर व सीट को फंसा हुआ बताने से स्थिति एक प्रकार से प्रतिकूल हो गई। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कई प्रकार के कारण पहले से ही भाजपा के लिए गड्ढा साबित होते रहे और इसकी भरपाई इस चुनाव में भी नहीं हो सकी। रही-सही कसर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की उपस्थिति ने पूरी कर दी। कोरबा सीट को प्रतिष्ठा का विषय बनाने वाले नेताओं ने यहां के समीकरणों पर यथासंभव मंथन करने की जहमत भी नहीं उठाई और छत्तीसगढ़ में सभी 11 सीट पर कमल खिलाने की मंशा को अधूरा रहने दिया। चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद से प्रदेश और देश में छत्तीसगढ़ की बात हो रही है जिसमें 10 सीट जीतने के साथ-साथ कोरबा सीट हारने पर भरपूर फोकस है। चर्चा इस बात की भी हो रही है कि जिस क्षेत्र से दो केबिनेट मंत्री दिए गए हैं वहां ऐसा हाल हो गया। संगठन की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ऐसे में अटकलें लगाई जा रही है कि देश में प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण के बाद छत्तीसगढ़ में भले ही सब तरफ ठीक रहे लेकिन कोरबा क्षेत्र में संगठन स्तर पर बड़े बदलाव हो सकते हैं।

Loading

Latest News

वनोपज सहकारी यूनियन ने जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. पवन का किया स्वागत

वनोपज सहकारी यूनियन ने जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ. पवन का किया स्वागत कोरबा। जिला पंचायत सदस्य के रूप में ऐतिहासिक...

More Articles Like This