2 साल की पढ़ाई पूरी करने वाले एमबीबीएस के छात्र अब कर सकेंगे एमडी या एमएस कोर्स, विशेषज्ञ चिकित्सक की पढ़ाई का मिलेगा मौका
कोरबा। स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में शैक्षणिक सत्र 2026-26 से 5 विभागों में पीजी कोर्सेज शुरू होने जा रहे हैं। अब तक एमबीबीएस का पाठ्यक्रम पूरा करने वाले कॉलेजों को ही पीजी पाठ्यक्रम शुरू करने की अनुमति थी। नए नियमों के तहत एमबीबीएस के तीसरे साल से ही ही पीजी कोर्सेज वाले विभागों की स्थापना मेडिकल कॉलेज में की जा सकती है। जिसके तहत 2 साल की पढ़ाई पूरी करने वाले एमबीबीएस के छात्र अब एमडी या एमएस के तौर पर विशेषज्ञ चिकित्सक की पढ़ाई शुरू कर सकेंगे। बड़ी मशक्कत के बाद कोरबा मे मेडिकल कॉलेज की स्थापना साल 2022 में हुई। तीन साल का वक्त बीतने के बाद एमबीबीएस के छात्रों के लिए प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के लिए क्लासेज संचालित होती हैं। आने वाले दो शैक्षणिक सालों के बाद एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी कर डॉक्टर बनने वाले चिकित्सा छात्रों के पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) कक्षाएं के लिए पीजी पाठ्यक्रम करने की जरुरत है. नए नियमों के तहत तब तीसरे वर्ष से ही पीजी कोर्सेस के विभागों की स्थापना मेडिकल कॉलेज में की जा सकेगी। मेडिकल कॉलेज में पीजी पाठ्यक्रम के लिए प्रत्येक विभाग में प्रोफेसर के पीछे 3 और असिस्टेंट प्रोफेसर के पीछे 2 सीटें मिलती हैं। सीट और फीस पर अंतिम निर्णय एंड मेक के द्वारा ही लिया जाएगा जिसके दौरे के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। सब कुछ ठीक रहा तो प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर होने पर 5-5 सीटों की मान्यता मिल सकती है। ऐसे में कोरबा मेडिकल कॉलेज में प्रत्येक दो वर्ष में 5 विभाग को मिलाकर 25 विशेषज्ञ चिकित्सक तैयार होंगे। ये डॉक्टर शुरुआती सेवा सरकारी अस्पतालों में देंगे। कोरबा के मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने उन्हीं पीजी कोर्सेज के लिए अनुमति मांगी है जिनके फैकल्टी वर्तमान में यहां मौजूद हैं।
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विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी को भी करेंगे पूरा
सब ठीक रहा तो 2025-26 से पीजी कोर्सेज शुरू करने की अनुमति मिलेगी। पीजी पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए एनएमसी को आवेदन किया गया है। टीम का दौरा प्रस्तावित है।।मान्यता के लिए कॉलेज प्रबंधन ने पूरी तैयारी कर रखी है। जिनके फैकल्टी उनके पास मौजूद हैं। उन विभागों के लिए अनुमति गई है। नए नियमों के तहत अब तीसरे वर्ष के बाद से ही एमडी और एमएस के डिग्री के लिए पीजी कोर्स संचालित किये जा सकते हैं। पीजी के स्टूडेंट किसी भी मेडिकल कॉलेज के लिए रीढ़ की हड्डी के समान होते हैं। अस्पताल में सेवा भी देंगे और इस व्यवस्था से अस्पताल और स्टूडेंट सभी को फायदा होगा।