Wednesday, August 20, 2025

किताबों के बारकोड स्कैन में नेटवर्क की बाधा, सर्वर इरर आने से बार बार करनी पड़ रही स्कैनिंग

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किताबों के बारकोड स्कैन में नेटवर्क की बाधा, सर्वर इरर आने से बार बार करनी पड़ रही स्कैनिंग

कोरबा। पाठ्यपुस्तकों की गड़बड़ी रोकने के लिए सरकारी किताबों में बारकोड और आईएनबीएन कोड सिस्टम लागू किया गया है। इसमें प्रत्येक स्कूलों को विद्यालय में पहुंची किताबों को पहले मोबाइल एप के जरिए स्कैन करना है, इसके बाद ही बच्चों में वितरण करना है। इस ट्रेकिंग सिस्टम को बेहतर तो बताया जा रहा है, लेकिन स्कैनिंग करने में सर्वर की समस्या अभी शिक्षकों के लिए मुसीबत साबित हो रही है। सर्वर इरर आने की वजह से एक बार में स्कैनिंग नहीं हो पा रही है और बार-बार स्कैनिंग करना पड़ रहा है। इसके वजह में स्कूलों में किताबें पहुंचने के बाद भी बच्चों को वितरण नहीं हो पा रहा है। शिक्षकों के मुताबिक जहां पर फाइव जी नेटवर्क मिल रहा है, वहां पर स्कैनिंग हो रही है, लेकिन फोर-जी समेत अन्य नेटवर्क होने पर स्कैनिंग करने में बार-बार इरर आ रहा है। इससे एक किताब को स्कैन करने में काफी समय लग रहा है।उल्लेखनीय है कि पिछले साल कुछ जिलों में सरकारी स्कूल की हजारों किताबें रद्दी में पाई गई थी। ऐसी गड़बड़ी फिर न हो और जरूरत के हिसाब से पुस्तकें छपे, इसके लिए पाठ्यपुस्तक निगम ने इस बार टेक्नोलॉजी का सहारा लिया है। इसे टैक्स बुक ट्रेकिंग सिस्टम का नाम दिया गया है। प्रत्येक पुस्तक पर एक बारकोड और एक आईएसबीएन (इंटरनेशनल स्टैण्डर्ट बुक नंबर) छपा है। इस बारकोड को मोबाइल से स्कैन करते ही यह पता लगाया जा सकेगा कि वह किताब कब और कहां छपी, किस स्कूल को भेजी गई और कितने समय में छात्र तक पहुंची। विद्यालय को कुल कितनी किताबें मिली, कितने बच्चों में बंटी और और कितने शेष बच गए। बची किताबों को शिक्षकों ने वापस किया है या नहीं। इसलिए यह सिस्टम को सरकारी किताबों में लागू किया गया है।

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