आर्यिका दीक्षा महोत्सव का हुआ समापन
कोरबा। बुधवारी बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर में संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज का 58 वां दीक्षा स्मृति महोत्सव एवं आर्यिका रत्न 105 अखंड मति माता का 34 वां आर्यिका दीक्षा महोत्सव समस्त जैन समाज के लोगों ने आचार्य छत्तीसगढ़ विधान के साथ बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया,12 दिनों से संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज के शिष्य नवाचार्य समयसागर महाराज के संघ की आर्यिका रत्न आदर्श मति माता जी के संघस्थ आर्यिका रत्न अखंडमति माता, अभेदमति माता एवं ध्यान मति माता संघस्थ बुधवारी बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर में विराजमान है। जैन मिलन समिति के पूर्व उपाध्यक्ष दिनेश जैन ने बताया कि सुबह सात बजे से नित्य नियम अभिषेक, शांति धारा एवं नव देवता पूजन के बाद आचार्य छत्तीसगढ़ के साथ दीक्षा स्मृति महोत्सव मनाया गया। इसमें आचार्य के जीवन की उपलब्धियां एवं संस्मरण के बारे में बताया कि आचार्य ने अपने जीवन में कई महाकाव्य की रचना की है। मूकमाटी महाकाव्य जैसी रचित रचनाओं में वर्तमान के आतंकवाद पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि मिटने मिटाने पर क्यों तुले हो, इतने सयाने हो, फिर भी प्रलय के लिए जुटे हो जीवन को मत रण बनाओ, प्रकृति मां का ऋण चूकाओ। पुरुषार्थ, उपकार एवं कर्म की नियति स्वभाव को प्रकट करते हुए कहा है कि जब हवा काम नहीं करती, तब दवा काम करती है। और जब दवा काम नहीं करती, वहां दुआ काम करती है और जब दुआ काम नहीं करती तब स्वयंभुवा काम करती है। इस प्रकार नर्मदा का नरम कंकर डूबो मत लगाओ डुबकी, तोता क्यों रोता है। आदि अनेक प्रकार की आचार्य की रचनाओं एवं संस्मरण के बारे में बताया। साथ ही जैन समाज की समस्त पुरुष एवं महिलाओं ने नृत्य संगीत एवं गाजे-बाजे के साथ बड़े धूमधाम से मनाया। इसमें गीत संगीत की धुन पर नाच कहानी के साथ आनंदपूर्वक लाभ उठाया।