Sunday, July 20, 2025

मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गेट नंबर दो में ताला जड़ने से बढ़ी परेशानी, गड्ढे में भरे पानी व कीचड़ में गिरकर आधा दर्जन से अधिक घायल

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मेडिकल कॉलेज अस्पताल के गेट नंबर दो में ताला जड़ने से बढ़ी परेशानी, गड्ढे में भरे पानी व कीचड़ में गिरकर आधा दर्जन से अधिक घायल

कोरबा। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ठेकेदारों की मनमानी चरम पर है। जिसकी बानगी शाम ढलने के बाद देखी जा सकती है। शाम ढलते ही गेट नंबर दो में ताला जड़ दिया जाता है। मरीज और परिजनों की आवाजाही के लिए गेट नंबर एक खुला तो रहता है, लेकिन पहले से ही सड़क पर निर्माण सामाग्री का ढेर लगा है। ऐसे में लोग हादसे की आशंका के बीच गड्ढे और कीचड़ से सराबोर मार्ग में आवाजाही करने मजबूर हो रहे हैं। यदि सप्ताह भर के भीतर घटित घटना की बात करें तो आधे दर्जन से अधिक घायल हो चुके हैं, उन्हें इलाज के लिए दाखिल कराया गया है।
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने करीब चार साल पहले जिला अस्पताल को अधिग्रहित किया है। इसके बाद कई बदलाव हुए हैं।अस्पताल की साफ सफाई के लिए जीवन दीप समिति से कर्मचारी नियुक्त किए गए थे। सुरक्षा के लिए नगर सैनिकों की तैनाती की जाती थी। अब साफ सफाई के अलावा सुरक्षा सहित अन्य कामकाज ठेकेदारों के हाथ में है। अस्पताल भवन का जीर्णोद्धार हुआ है। अस्पताल में डॉक्टर सहित कर्मचारियों की संख्या बढ़ी है। जिससे ओपीडी और आईपीडी में मरीजों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती जा रही है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुविधा और संसाधन बढ़ने के साथ ही मरीज और उनके परिजनों के लिए समस्याएं भी बढ़ रही है। बीते कुछ दिनों से मरीज और उनके परिजनों को आवागमन की समस्या से जुझÞना पड़ रहा है। दरअसल आपातकालीन कक्ष के सामने 50 बिस्तर वाले क्रिटिकल यूनिट तैयार किया जा रहा है। भवन निर्माण के दौरान किसी प्रकार की अनहोनी न हो, इसके लिए गेट नंबर वन को बंद कर दिया गया था। लोग ट्रामा वार्ड के सामने स्थित गेट नंबर दो से आवाजाही कर रहे थे। भवन निर्माण शुरू होने के कुछ ही दिनों बाद गेट नंबर वन को खोल दिया गया, जिससे इस मार्ग का इस्तेमाल भी लोग करने लगे। बीते कुछ दिनों से शाम के समय अस्पताल आने जाने वालों को एक नही मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। ट्रामा वार्ड के सामने स्थित गेट नंबर दो में रात आठ बजे के बाद ताला जड़ दिया जाता है। इधर निर्माणाधीन भवन के सामने पक्की सड़क पर भारी मात्रा में गिट्टी रखा गया है। इसके अलावा कई छोटे बड़े वाहन खड़े रहते हैं। गेट नंबर वन से अस्पताल तक पहुंचने लोगों को नर्सरी के भीतर बने कच्ची सड़क से गुजरना पड़ता है। यह सड़क लगातार हो रही बारिश के कारण गड्ढे में तब्दील हो चुका है। जिसमें पानी के साथ साथ कीचड़ भी है। लोग कीचड़ से सराबोर मार्ग में आवाजाही करने मजबूर है। इस दौरान हादसे भी हो रहे हैं। यदि सप्ताह भर के भीतर घटित घटना की बात करें तो आधे दर्जन से अधिक घायल हो चुके हैं। इसमें सुराकछार में रहने वाली चमेली बाई, पुरानी बस्ती के विजय, बोकरदरा के कृष्णा व रमेश राजवाड़े सहित अन्य शामिल हैं। कच्ची सड़क पर गिरकर घायल हुए लोगों को अस्पताल में इलाज कराना पड़ रहा है। अस्पताल में सुरक्षा के नाम पर बदलाव से मरीज और उनके परिजनों की परेशानी बढ़ा दी है। दरअसल अस्पताल जाने गड्ढे में भरे पानी और कीचड़ से सराबोर मार्ग को पार करते समय आधा दर्जन से अधिक लोग घायल हो चुके हैं। इनमें से कई लोगों को इलाज के लिए अस्पताल दाखिल कराया गया है। यहां तक तो ठीक था, लेकिन डॉक्टरों ने पुलिस सहायता केंद्र में मेमो भेजना शुरू कर दिया है। जिससे घायलों को कार्रवाई का भय सता रहा है।

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