रोटी बैंक से मिट रही बेसहारा और भिक्षुकों की भूख, शिवा प्रतीक और साथी चला रहे सेवा की मुहिम
कोरबा। मानव सेवा का एक अनूठा उदाहरण कोरबा शहर में देखने को मिल रहा है, जहां शिवा प्रतीक और उनके साथी पिछले सात सालों से ‘रोटी बैंकÓ के माध्यम से बेसहारा और भिक्षुकों की सेवा कर रहे हैं। इस निस्वार्थ पहल के जरिए प्रतिदिन सैकड़ों जरूरतमंदों को दोपहर और रात, दोनों समय भरपेट भोजन मिल पाता है। यह सेवा छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी के तत्वावधान में अनवरत जारी है, जिसने कई बेघर और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोगों को भूख से मुक्ति दिलाई है। छत्तीसगढ़ हेल्प वेलफेयर सोसायटी के सदस्य शिवा प्रतीक अपने साथी मिहिर के साथ मिलकर यह बीड़ा उठाए हुए हैं। वे शहर के लगभग 85 परिवारों तक पहुंचते हैं, जहां से दोनों समय रोटी, चावल और सब्जी एकत्र करते हैं।ये परिवार भी पूरी सेवा भावना से नियमित रूप से भोजन तैयार कर संस्था को उपलब्ध कराते हैं, जिससे यह नेक कार्य निरंतर जारी है।मौसम चाहे कैसा भी हो तेज धूप, मूसलाधार बारिश या कड़ाके की ठंड – शिवा प्रतीक एकत्रित भोजन लेकर शहर के बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, हॉट-बाजार, आश्रम और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पहुंचते हैं। यहां बेसहारा, भिक्षुक और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोग उनके आने का इंतजार करते हैं और सम्मानपूर्वक भोजन ग्रहण करते हैं। शिवा बताते हैं कि यह कार्य करके उन्हें असीम सुकून और आत्मसंतुष्टि मिलती है।
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7 साल पहले हुई थी सेवा की शुरुआत
शिवा प्रतीक बताते हैं कि ‘रोटी बैंकÓ सेवा की शुरुआत आज से सात साल पहले 21 जून 2018 को हुई थी। उन्होंने बताया कि इस पहल से पहले बेसहारा और भिक्षुक अक्सर रेस्टोरेंट और होटलों के आसपास या कूड़ेदान में खाने की तलाश करते नजर आते थे।कई बार भूखे पेट ही दिन गुजारना पड़ता था, लेकिन अब ‘रोटी बैंकÓ सेवा के माध्यम से उन्हें दोनों समय भरपेट और स्वच्छ भोजन मिल रहा है। इस मानवीय पहल ने न केवल उनकी भूख मिटाई है, बल्कि उन्हें एक गरिमापूर्ण जीवन जीने का अवसर भी प्रदान किया है।शिवा और उनके साथियों का यह प्रयास समाज के लिए एक प्रेरणा है।