प्रेरकों ने की रोजगार में प्राथमिकता देने की मांग, श्रम मंत्री से की मुलाकात, सौंपा ज्ञापन
कोरबा। छत्तीसगढ़ में 2007 से साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत लगभग 18000 प्रेरकों की नियुक्ति प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक महिला व एक पुरुष किया गया था । जिसे 2000 मासिक मानदेय प्रदान किया जा रहा था। जिसका उद्देश्य प्रौढ़ शिक्षा के माध्यम से 18 वर्ष से अधिक असाक्षरों को शिक्षा प्रदान करना था। प्रेरक प्रौढ़ शिक्षा के साथ-साथ पंचायत के विभिन्न कार्यों में सतत अपना सहयोग करते थे। स्कूली शिक्षा का कार्य , सर्वे ,निरीक्षण , जॉब कार्ड ,राशन कार्ड ,शौचालय निर्माण में अपनी अहम भूमिका प्रेरकों के द्वारा निभाया गया। किंतु साक्षरता प्रेरकों को 31 मार्च 2018 से इस कार्यक्रम से पृथक कर दिया गया। जबकि आज भी कार्यक्रम संचालित है। संगठन के पदाधिकारियों के दिशानिर्देश में कोरबा जिला इकाई के द्वारा श्रम मंत्री लखन लाल देवांगन को रोजगार प्रदान करने मुख्यमंत्री के नाम से ज्ञापन सौंपा गया । प्रेरकों ने ज्ञापन के माध्यम से मंत्री को अवगत कराया कि विधानसभा चुनाव में जारी मोदी के गारंटी पत्र के तहत 1.5 लाख लोगों को रोजगार देने के लिए सरकार तुहर द्वार योजना का उल्लेख है। वहां पर प्रेरकों को प्राथमिकता प्रदान करते हए रखने की मांग की गई है।