रजगामार खदान में उत्पादन की तैयारी, पहुुंची 2 कंटीन्यूस माइनर मशीन, अक्टूबर से उत्पादन शुरू करने की तैयारी
कोरबा। एसईसीएल खुली खदानों के साथ ही अंडरग्राउंड माइंस से कोयला उत्पादन बढ़ाने नई तकनीक पर जोर दे रहा है। इसी कड़ी में कंटीन्यूस माइनर मशीन का सहारा भूमिगत खदानों में लिया जाएगा। कंपनी 58 मशीन उतारने की तैयारी कर चुका है। कोरबा एरिया अन्तर्गत रजगामार भूमिगत खदान में नई तकनीक से कोयला उत्पादन के लिए 2 कंटीन्यूस माइनर मशीन पहुंच चुकी है। यहां कुल 7 मशीनों को उतारा जाना है। जल्द शेष 5 मशीनें भी रजगामार पहुंच जाएंगी। प्रबंधन अक्टूबर से कोयला उत्पादन की तैयारी में जोर शोर से जुटा हुआ है।
साउथ इस्टर्न कोलफिल्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की पिछले 11 वर्षों से बंद रजगामार की 6-7 नंबर भूमिगत कोयला खदान से पुन: उत्पादन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एसईसीएल की रजगामार स्थित 6-7 नंबर भूमिगत खदान को वर्ष 2014 में केंद्रीय वन व पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति नहीं मिलने की वजह बंद करना पड़ा। इसे एक बार फिर शुरू करने की कवायद की जा रही। खदान में कंटीन्यूस माइनर मशीन से कोयला उत्पादन किया जाएगा। जेनवेल प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कंटीन्यूस माइनर मशीनों का संचालन करेगी। कंपनी के पचास कर्मचारी इसमें नियोजित होंगे। शेष एसईसीएल के कर्मियों को काम पर लगाया जाएगा। जल्द ही कंटीन्यूस माइनर मशीन को खदान में उतारकर कोयला उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। प्रबंधन 1 अक्टूबर से उत्पादन शुरू करने की तैयारी में जुटा हुआ है। खान प्रबंधक, सब एरिया मैनेजर व उनकी टीम के साथ जेनवेल कंपनी के अधिकारी मोर्चा संभाले हुए हैं। एरिया में वर्तमान एसईसीएल के लगभग 200 कर्मचारी नियोजित हैं। यहां उत्पादन शुरू होने के बाद 60-70 कर्मियों की और आवश्यकता होगी। रजगामार खदान के बंद होने से क्षेत्र विरान हो गया था। माना जा रहा है कि खदान के पुन: उत्पादन में लौट आने के बाद एरिया में भी रौनक लौटेगी।
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खदान में उत्कृष्ट कोयले का भंडार
जानकार बताते हैं कि एसईसीएल की गेवरा, दीपका, कुसमुंडा व मानिकपुर खुली खदान से उत्पादित कोयले के मुकाबले रजगामार भूमिगत खदान का कोयला उत्कृष्ट है। इस कोयले का ताप अधिक होता है व राख कम निकलता है। खदान में दस से पन्द्रह साल के कोल भंडार की मौजूदगी का पता चला है।
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निकलेगा प्रतिदिन 12 सौ टन से अधिक कोयला
कंटीन्यूस माइनर मशीनों की खासियत है कि 24 घंटे में 12 सौ से 17 सौ टन कोयले का उत्पादन किया जा सकता है। खदान में अभी भी पर्याप्त मात्रा में कोयला का भंडार है। खदान में सात कंटीन्यूस माइनर मशीनों से उत्पादन किया जाएगा। दो मशीनें पहुंच चुकी है, पांच का आना शेष है।
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ग्राम सभा से मिल चुकी है एनओसी
बंद खदान को शुरू करने पहले ही ग्राम सभा का आयोजन किया गया था। वन भूमि का गैर वानिकी प्रयोजन के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) लेना होता है। इसके लिए बुलाई गई सभा में प्रबंधन ने अनुसूचित जनजाति व अन्य परंपरागत वन निवासी अधिनियम 2006 के तहत अनुमति ली थी। इस दौरान किसी भी वनवासी की भूमि में पट्टा नहीं दिए जाने की जानकारी दी गई। इसके साथ ही खदान शुरू करने पर सहमति बन गई थी।
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कंटीन्यूस माइनर मशीन का ऐसे होता है इस्तेमाल
अभी भूमिगत खदानों में कोयला खनन के लिए ब्लॉस्टिंग किया जाता है। इसके लिए बारुद और डेटोनेटर का इस्तेमाल किया जाता है। ब्लॉस्टिंग कर तोड़े गए कोयले को साइड डिस्चार्ज मशीन (एसडीएल) या लोड हॉल डंप (एलएसडी) के जरिए फेस से उठाकर कन्वेयर बेल्ट के माध्यम से खदान के बाहर कोयला निकाला जाता है।कंटीन्यूस माइनर मशीन के इस्तेमाल से अंडरग्राउंड खदानों में ब्लॉस्टिंग बंद हो जाती है। कंटीन्यूस माइनर मशीन फेस पर पहुंचकर कोयले को काटेगी और इसे एकत्र कर कन्वेयर बेल्ट पर डाल देगी। कटिंग के दौरान मशीन पानी का इस्तेमाल करेगी। फेस को हमेशा गीला रखेगी। इससे खदान में कोल डस्ट की समस्या कम होगी। उत्पादन में तेजी आएगी।