एसईसीएल द्वारा अधिग्रहित जमीनों पर बिचौलियों की नजर, वास्तविक खातेदारों को हो रहा भारी आर्थिक नुकसान
कोरबा। एसईसीएल की कोयला खदान के लिए अधिग्रहित होने वाली जमीनों पर बिचौलियों की नजर टिकी है। इससे उन खातेदारों को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है जो मूल रूप से प्रभावित हैं। यही वजह है कि मामला अब सीबीआई के पास पहुंच चुका है। सीबीआई ने बोगस मुआवजा की कड़ी से कड़ी जोडऩे का काम शुरू कर दिया है। इसे लेकर दो कारोबारियों के ठिकाने पर सीबीआई दबिश भी दे चुकी है।एसईसीएल की दीपका खदान के लिए अधिग्रहित गांव मलगांव की जमीन को लेकर भी नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया है कि वर्ष 2004 में कोल बेयरिंग एक्ट के तहत कोयला कंपनी ने इस गांव की जमीन का अधिग्रहण किया था। उस समय लगभग 400 एकड़ जमीन खदान के लिए ली गई थी और 235 खातेदार प्रभावित हुए थे। 20 वर्षों में यह संख्या बढक़र 1600 के पार पहुंच गई। अब जब इस जमीन को कोयला कंपनी को आवश्यकता है। तब इस जमीन से खनन करने के लिए कोयला कंपनी मुआवजा बांट रही है। एक अनुमान के अनुसार इस जमीन पर लगभग 235 करोड़ रुपए का मुआवजा बांटा जाना है। कंपनी के इसी पैसे पर नजर उन लोगों की भी है, जो कभी इस गांव के निवासी नहीं रहे और जैसे ही उन्हें पता चला कि मलगांव की जमीन कोयला खदान के लिए अधिग्रहित हो गई है तब उन्होंने संगठित होकर यहां पड़ी सरकारी और निजी जमीन पर आपसी रजामंदी से मकान बनाया और इसके मुआवजे को लेकर कंपनी से संपर्क किया। जमीन की बढ़ती जरूरतों को लेकर कंपनी भी दबाव में आई और उसने जमीन जल्द से जल्द खाली हो इसके लिए मुआवजा बांटने का कार्य शुरू किया। इसका असर हुआ कि कई अपात्र लोगों को मलगांव में मुआवजा मिला। अब इस मामले के सामने आने के बाद एसईसीएल प्रबंधन में हडक़ंप मचा हुआ है।