करोड़ों खर्च के बाद भी सड़क निर्माण आधा अधूरा, आवागमन में हो रही परेशानी, खदानों से रोजाना 500 भारी वाहनों का होता है आवागमन
कोरबा। एसईसीएल की तीन बड़ी खदान कुसमुंडा, गेवरा, दीपका कोयलांचल में है। यहां से रोजाना 500 से अधिक भारी वाहन कोयला परिवहन करते हैं। लोगों को भारी वाहनों के बीच से ही आवाजाही करनी पड़ती है। नगर निगम क्षेत्र के कुसमुंडा, बांकीमोगरा जोन के वार्ड इसी क्षेत्र में है। इसके साथ ही शहर के बीच से भारी वाहनों के गुजरने से परेशानी होती है। दूसरी क्षेत्र में बन रही सड़क अधूरी है। सर्वमंगला-इमलीछापर और हरदीबाजार से तरदा होते हुए सर्वमंगला चौक तक बन रहे इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का ठेका ही समाप्त हो गया है। 27.19 किलोमीटर सड़क का निर्माण 200 करोड़ की लागत से कराया जा रहा है। तीन चरणों में बन रही सड़क में से दो चरणों का काम भी 3 साल से अधूरा है। तीसरे चरण का काम ही शुरू नहीं हुआ है। अब सड़क बनाने के लिए फिर से टेंडर करना पड़ेगा। पश्चिम क्षेत्र की डेढ़ लाख आबादी को अधूरी सड़क पर ही आवाजाही करनी पड़ेगी। इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की सड़क का निर्माण एसईसीएल के सीएसआर मद से कराया जा रहा है। निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी है। 3 साल पहले सड़क निर्माण का ठेका नागपुर की कंपनी एसएमएस को दिया था।सर्वमंगला चौक से इमलीछापर तक 5.55 किलोमीटर सड़क फोरलेन बननी है, लेकिन बीच में बरमपुर के पास नहर पुल की डिजाइन ही बदल दी गई। इसकी वजह से ही अब तक यहां पर करीब 150 मीटर की सड़क अधूरी है। इसके आगे अंडरब्रिज की चौड़ाई कम होने से एक लेन ही बन पाई है। 3 साल से कुसमुंडा क्षेत्र के लोगों को गेवरा रेलवे स्टेशन के सामने से लेकर इमलीछापर तक परेशानी का सामना करना पड़ा। अब वहां पर फ्लाई ओवरब्रिज के निर्माण से परेशानी हो रही है। इसी तरह सर्वमंगला चौक से तरदा के बीच टू-लेन सड़क तो बन गई है, लेकिन रेलवे कॉरिडोर के कारण अंडरब्रिज का काम अधूरा है।