दूसरे दिन भी महाप्रबंधक कार्यालय गेट पर डटे भू विस्थापित
कोरबा। एसईसीएल से प्रभावित ग्रामीणों का कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय गेट के सामने दूसरे दिन भी आंदोलन जारी रहा। तीन दिन आंदोलन की चेतावनी ग्रामीणों ने दी है। खदान क्षेत्र की प्रभावित महिला भूविस्थापितों ने दूसरे दिन भी एसईसीएल धरना प्रदर्शन कर आवाज बुलंद की। रोजगार, मुआवजा की मांग लंबित है।
आंदोलन कर रही महिलाओं द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि वे विगत 22 वर्षों से भूमि के एवज में मिलने वाले रोजगार के लिए प्रयासत् हैं, लेकिन एसईसीएल कुसमुण्डा क्षेत्र के अधिकारियों के द्वारा बार-बार गुमराह व झुठा आश्वासन दिया जा रहा है। जिससे वे मानसिक एवं आर्थिक स्थिति से त्रस्त हो चुके हैं। उनका कहना है कि हम लोग एसईसीएल कार्यालय में जानकारी के लिए जाते हैं, तो कुछ भी नहीं बताया जाता है, न ही सूचना का अधिकार मिलता है। डांट-फटकार कर बाहर निकाल दिया जाता है। एसईसीएल कुसमुण्डा प्रबंधन, जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत है, ताकि जमीन देने वाले ग्रामीण आवाज न उठा सकें। ज्ञापन में कहा गया है कि पुलिस को सामने लाकर ग्रामीणों को दबाया जाता है। ताकि भू-विस्थापित किसान एसईसीएल के ऊपर कोई दबाव न डाले। दबाव डालने वालों को जेल भेज दिया जाता है। संजय दुबे (सिक्योरिटी गार्ड) के द्वारा एफआईआर दर्ज करवा दिया जाता हैं। अनिश्चितकालीन हड़ताल के तहत 8 से 10 सितंबर तक खदान से कोल उत्पादन ठप्प, जीएम ऑफिस के सामने मेन व छोटा गेट में ताला बंदी कर धरना प्रदर्शन की बात उन्होंने कही है। सोमवार के बाद मंगलवार सुबह से उनका आंदोलन शुरू हो गया था।