धान बेचने नहीं पहुंचे जिले के 9694 किसान, पंजीकृत 54 हजार 121 में से 44 हजार 427 किसानों ने ही बेचा धान
कोरबा। इस साल प्रदेश सरकार को समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए 54 हजार 121 किसानों ने पंजीयन कराया था। लेकिन 44 हजार 427 किसानों ने ही धान की बिक्री की है। 9694 किसान धान बेचने के लिए नहीं पहुंचे। प्रशासन का कहना है कि धान खरीदी को लेकर शुरू से सतर्कता बरती जा रही है। उन किसानों से ही धान खरीदा गया जिन्होंने अपने खेत में धान का उत्पादन किया था। जिन्होंने धान की बोआई नहीं की थी उन पर नजर थी और वे बिचौलियों का धान सोसायटी में नहीं खपा सके। किसानों ने लगभग 56 हजार 157 हेक्टेयर में लगाए गए धान की फसल को सरकार बेचा है। जिले में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का कार्य पूरा हो गया है। इस साल किसानों से लगभग 670 करोड़ रुपए का धान खरीदा गया है। किसानों ने प्रदेश सरकार को 29 लाख 15 हजार 548 क्विंटल धान बेचा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में किसानों से धान खरीदी 15 नवंबर से शुरू हुई थी। 31 जनवरी तक समर्थन मूल्य पर धान खरीदा गया। इस अवधि में किसान बड़ी संख्या में धान की बोरियां लेकर बेचने के लिए केन्द्रों तक पहुंचे। सहकारी समितियों की ओर से धान की जांच की गई और इन्हें खरीदा गया। इन्हें खरीदकर अलग-अलग बोरियों में रखा गया, लेकिन समय पर उठाव शुरू नहीं हो सका और अभी जिले के अलग-अलग केंद्रों में धान की बोरियां पड़ी हुई है। इस बीच धान खरीदी ने पिछले साल के रिकार्ड को तोड़ दिया है। पिछले साल लगभग 28 लाख क्विंटल धान की खरीदी हुई थी। इस बार पैदावार अधिक होने से किसान बड़ी संख्या में धान की बोरियां लेकर खरीदी केन्द्रों तक पहुंचे। अलग-अलग केन्द्रों में धान खरीदी की निर्धारित तिथि तक 29 लाख 15 हजार 548 क्विंटल धान की खरीदी हुई। जिला प्रशासन की ओर से बताया गया है कि धान खरीदी के बदले किसानों को 670 करोड़ 57 लाख 62 हजार रुपए का भुगतान किया गया है।
बॉक्स
17.75 फीसदी धान का उठाव बाकी
समर्थन मूल्य पर प्रशासन की ओर से जितना धान खरीदा गया है उसका लगभग 17.75 फीसदी हिस्सा खरीदी केन्द्रों में पड़ा हुआ है। इसे उठाने के लिए विपणन विभाग की ओर से मिलर्स को डीओ जारी किया गया है, लेकिन उठाने की शर्त कठिन होने के कारण मिलर्स समय पर कोरबा जिले के धान खरीदी केंद्रों से बोरियों का उठाव नहीं कर पा रहे हैं। जिले के 65 उपार्जन केंद्रों पर 5 लाख 16 हजार 135 क्विंटल धान पड़ा हुआ है। हालांकि विपणन विभाग का कहना है कि मिलर्स को धान उठाने के लिए दबाव डाला जा रहा है और जल्द ही जिले से धान की बोरियों का उठाव कर लिया जाएगा। अलग-अलग केन्द्रों पर सबसे अधिक मोटा धान जाम है। इस साल किसानों ने समर्थन मूल्य पर मोटा और सरना धान ही बेचा है।
बॉक्स
किसानों ने नहीं बेचा पतला धान
इस साल पहली बार ऐसा हुआ है जब किसानों ने प्रदेश सरकार को एक दाना भी पतला धान नहीं बेचा है। बताया जाता है कि प्रदेश मोटा धान का उपज अधिक होने के कारण किसानों ने सबसे अधिक इसकी बोआई की थी। कुछ क्षेत्रों में किसानों ने अपनी घरेलू जरूरतों को पूरी करने के लिए पतला धान उठाया है, लेकिन कीमत कम होने के कारण पतला धान सरकार को नहीं बेचा है। किसान अब पतला धान की मिलिंग कराकर अपने घर में इस्तेमाल करेंगे। जरूरत से ज्यादा पतला धान बाजार में बेच देंगे। बरपाली और हरदीबाजार क्षेत्र में पतला धान की बोआई होती है।