बिना मापदंड पूरा किए दौड़ रहे स्कूली वाहन, विभाग की जांच सिर्फ स्कूल बसों तक सीमित
कोरबा। ऑटो या वेन में स्कूल तक सफर करने वाले विद्यार्थियों की सुरक्षा खतरे में है। गाडिय़ां सुरक्षा के मापदंडों पर खरी नहीं उतरती। बावजूद इसके दोनों गाडिय़ां विद्यार्थियों को स्कूल से लेकर आना-जाना कर रही है। परिवहन विभाग की जांच सिर्फ स्कूल बसों तक सीमित है, जबकि सवारी आटो और वैन की जांच नहीं हो रही है। ऐसे वाहन स्कूल बच्चों को छोडऩे का काम भी करते हैं शाम को सवारी भी ढोते हैं। इसलिए किसी तरह की सुरक्षा व्यवस्था पर ध्यान नहीं दिया जाता है। विद्यार्थियों की सुरक्षा को लेकर न माता-पिता गंभीर है और न ही स्कूलों का प्रबंधन। अनफिट स्कूली बसों में छात्र-छात्राओं को बैठाकर लाया ले जाया जा रहा है। तमाम कायदे-कानून को ताक पर रखकर गाडिय़ां स्कूली बच्चों को लाना ले जाना कर रही है। नियमों की अनदेखी के मामले में तीन पहिया ऑटो व चार पहिया वाली वेन सबसे अधिक है। किसी भी स्कूल की वेन सुरक्षा की मापदंड को पूरी नहीं कर रही है बावजूद इसके शहर और उपनगरीय इलाकों में विद्यार्थियों को लेकर आना-जाना कर रही है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर अभिभावक उठाने लगे सवाल छोटे स्कूलों के पास बसें नहीं कोरबा शहर में बड़े निजी स्कूलों के पास खुद की बसें हैं लेकिन छोटे स्कूलों के पास बस नहीं है। वेन को भाड़े पर लेकर कई स्कूलों का प्रबंधन चलाते हैं। बच्चों को स्कूल तक भेजने और वहां से वापस लाने के लिए अभिभावकों ने भी आपस में सहयोग कर चारपहिया वेन को किराए पर लिया है। सबसे अधिक असुरक्षा वेन और ऑटो में ही विद्यार्थियों को है। बड़ी घटना की स्थिति में विद्यार्थियों की जान पर आफत आ सकती है। शासन ने बच्चों की सुविधा और अभिभावकों को खर्च पर रियायत देने के लिए सामान्य यात्री बसों पर लगने वाली विभिन्न कर (टैक्स) में स्कूली बसों को छूट दी जाती है। इससे अभिभावकों को बसों का किराया कम देना पड़े, लेकिन इसका फायदा अभिभावकों नहीं मिल रहा है। स्कूल प्रबंधन बच्चों को घर से स्कूल और स्कूल से घर आवाजाही के लिए सलाना लगभग 15 से 25 हजार रुपए तक किराए लिए जा रहे हैं। इस कारण अभिभावक मजबूरी में बच्चों की आवाजाही के लिए ऑटो से बच्चों को स्कूल भेजे जा रहे हैं।