शब-ए-बारात की रात गुनाहों की मांगी गई माफी, कब्रिस्तानों में अपने मरहूमों के लिए मांगी गई दुआ
कोरबा। गुरुवार को शब-ए-बारात पर कोरबा की कब्रिस्तानों की सुबह से ही साफ-सफाई शुरू हो गई थी। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने नाते-रिश्तेदारों की कब्रों की सफाई करने के बाद उनकी रंगाई पुताई की। साथ ही यहां फूल, केवड़ा और इत्र डालकर महकाया। इसके बाद देर रात तक फातिहा पढ़ी जाती रही। वहीं, मजारों पर भी दुआ व सलाम पढ़ा गया।मुस्लिम धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक शब-ए-बारात की अहमियत भी बहुत है। गुरुवार को कब्रिस्तानों पर सुबह से लोगों का आना शुरू हो गया था। दिन भर लोग यहां अपने उन करीबियों की कब्रों की साफ सफाई करते रहे, जो इस दुनिया से जा चुके हैं। साथ ही यहां चूना पोतकर कब्रिस्तानों की काया बदली गई। वहीं, कब्रिस्तान की कमेटियों ने यहां रोशनी के लिए बड़ी-बड़ी लाइटों की व्यवस्था की थी।अपनों की कब्र पर फातिहा पढऩे आने वालों के लिए यहां गुलाब के फूलों के बाजार लग गए थे। हर एक कब्र पर फूल और इत्र का छिडक़ाव किया गया।मस्जिद और घरों में मुस्लिमों ने तकरीर का आयोजन किया।शब-ए-बारात पर अल्लाह की इबादत और उसके जिक्र का सिलसिला देर रात तक चलेगा। इसके अलावा घरों में महिलाएं नमाज अदा कर दुआ-ए-मगफिरत (गुनाहों से निजात) की गई। शब-ए-बारात पर बृहस्पतिवार को अल्लाह के बंदों ने सालभर में हुए गुनाहों की माफी के लिए सच्चे दिल से तौबा कर अपनी व बुजुर्गों की मगफिरत के लिए दुआ मांगी। रब को राजी करने के लिए रातभर इबादत में लगे रहे। साथ ही कब्रिस्तान पर जाकर दुनिया से रुखसत हो चुके पुरखों के लिए दुआ मांगी। इबादतगाहों और मस्जिदों में पूरी रात कुरान की तिलावत और नफिल नमाज का दौर चला। लोगों ने शहरभर के कब्रिस्तानों में जाकर रोशनी की और कुरान की तिलावत की।