सोमवती अमावस्या पर की गई वट वृक्ष की पूजा
कोरबा। सोमवती अमावस्या का पर्व भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। कोरबा और उपनगरीय क्षेत्र में महिलाओं द्वारा पीपल और वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा की गई। मौली धागा बांधकर रक्षा और कल्याण की कामना करने की परंपरा का निर्वहन किया गया। गहरी आस्था और प्रकृति के प्रति सम्मान को उजागर किया गया। इसके साथ ही, पवित्र नदियों में स्नान और दान की परंपरा भी इस पर्व का एक अहम हिस्सा है। यह न केवल आत्मशुद्धि का प्रतीक है बल्कि सामाजिक कल्याण और दानशीलता को बढ़ावा देता है। मंदिरों में जाकर भगवान की पूजा-अर्चना और सर्व कल्याण के लिए प्रार्थना करना इस दिन की विशेषता है। ऐसी परंपराएं न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह समाज में सामूहिकता और आध्यात्मिकता को भी बढ़ावा देती हैं। सोमवती अमावस्या पर इस प्रकार के आयोजन, धार्मिकता और संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने का कार्य करते हैं।